Tuesday, December 24, 2024
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छात्रवृत्ति घोटाले में एसआईटी की जांच अभी तक अधूरी,,, विडंबना ,,,संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई हेतु सरकारों से नहीं मिली इजाज़त।

2017 में प्रकाश में आए छात्रवृत्ति घोटाले में 200 से ज्यादा शिक्षण संस्थानों ने अपने यहां एससी-एसटी के छात्रों के फर्जी दाखिले दिखाकर समाज कल्याण विभाग से करीब 300 करोड़ से ज्यादा डकार लिए थे।
इस घपले का मामला जब प्रकाश में आया तो वर्ष 2019 में उत्तराखंड सरकार ने एसआईटी का गठन किया। एसआईटी ने जांच करने के बाद परत दर परत खोलनी शुरू की तो कई बड़ी मछलियों के नाम उजागर हो गए
हैरानी वाली बात है कि छात्रवृत्ति घोटाले में शामिल रहे करीब दो दर्जन अधिकारियों पर चार राज्यों की सरकारों की नजरें इनायत हैं। छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही एसआईटी ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा की सरकारों से इनके खिलाफ कार्रवाई की अनुमति मांगी है। मगर, एक साल से किसी भी सरकार ने कार्रवाई की अनुमति नहीं दी। ऐसे में 80 से ज्यादा मुकदमे दर्ज होने के बाद भी एसआईटी जांच अधूरी है।
वर्ष 2017 में बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया था। करीब 200 से ज्यादा शिक्षण संस्थानों ने अपने यहां एससी-एसटी के छात्रों के फर्जी दाखिले दिखाकर समाज कल्याण विभाग से करीब 300 करोड़ से ज्यादा डकार लिए थे। मामला सुर्खियों में आया तो वर्ष 2019 में उत्तराखंड सरकार ने एसआईटी का गठन किया। एसआईटी ने परत दर परत खोलनी शुरू की तो कई बड़ी मछलियों के नाम भी सामने आए।
इनमें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के सरकारी अधिकारियों के नाम भी सामने आए। इन सबके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 13 से ज्यादा मुकदमे हरिद्वार और देहरादून के थानों में दर्ज किए गए। कई अधिकारियों को गिरफ्तार भी किया गया, लेकिन बहुत से अधिकारी अब भी ऐसे हैं, जिनके खिलाफ एसआईटी ने कार्रवाई की अनुमति इन राज्यों की सरकारों से मांगी हुई है। करीब एक साल से भी ज्यादा का समय गुजर गया, लेकिन चारों राज्यों की सरकारों ने इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति नहीं दी है।
एक नज़र में देखते हैं..कहां के कितने अधिकारी
उत्तर प्रदेश-09
उत्तराखंड-11
हिमाचल प्रदेश-02
हरियाणा-01
अभी कुछ दिन पहले ही
शिक्षण संस्थानों और उनके अधिकारियों को ईडी के द्वारा नोटिस भी भेजे गए हैं
इनके संचालकों अधिकारियों को पांच साल का ब्योरा लेकर प्रस्तुत होने को कहा गया है। अब इन संस्थानों पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।

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